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मेड़ता में जन्मे दुर्लभ बच्चे: शरीर एक मगर सिर दो, हाथ पैर चार-चार

मेड़ता में जन्मे दुर्लभ बच्चे: शरीर एक मगर सिर दो, हाथ पैर चार-चार

 

मेड़ता ।। मेड़ता शहर के राम हॉस्पिटल में कुचेरा के पास बासनी गांव की एक 23 साल की प्रसूता ने दो ऐसे बच्चों को जन्म दिया। बच्चों के जिस्म तो एक मगर जान अलग-अलग।

प्रसूता ने 2 लड़को को जन्म दिया। बच्चों के शरीर सीने से जुड़ा हुए है। बाकी सब-कुछ दो-दो हैं। दोनों भाईयों के सिर दो हैं। हाथ और पैर भी दो-दो हैं। राम हॉस्पिटल के डॉक्टर्स की टीम को डिलीवरी से पहले ही सोनोग्राफी से असामान्य डिलीवरी का पता चल गया था। ऐसे में उन्होंने ऑपरेशन के लिए सफल डिलीवरी करवाई। जब बच्चे को देखा तो वे भी हेरान रह गए। फिलहाल बच्चे की मां और बच्चे दोनों सकुशल है।

अस्पताल का प्रबंधन देखने वाले रामस्वरूप ने बताया कि शुक्रवार दोपहर 12 बजे एक इमरजेंसी डिलीवरी केस आया। प्रसूता प्रसव पीड़ा से जूझ रही थी। राम हॉस्पिटल में एमएस गायनोलॉजिस्ट डॉ. मनीष कुमार सैनी ने प्रसूता को एडमिट किया और कुछ जांचें कराई तो पता चला कि यह असामान्य डिलीवरी है। ऐसे में गायनोलॉजिस्ट सैनी के साथ गायनालॉजिस्ट डॉ. प्रियंका ईनाणिया, जनरल सर्जन डॉ. एसपी शर्मा की टीम ने ऑपरेशन के लिए डिलीवरी कराने का फैसला लिया। शाम साढ़े 4 बजे सफल डिलीवरी भी हो गई मगर बच्चा असामान्य था। एक नहीं दो ट्विन बेबी का जन्म हुआ था मगर वह छाती से जुड़े हुए थे। बाकी पूरा शरीर अलग था। ऐसे में जन्म के बाद सबसे पहले चिकित्सा टीम ने शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. बलदेव चौधरी से भी बच्चों का चेकअप कराया।

राम हॉस्पिटल के डॉक्टरों की टीम ने आगे के इलाज और कंसल्ट के लिए बच्चों को जोधपुर AIIMS रेफर कर दिया है। वहां स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की टीम MRI, CITY SCAN सहित अन्य कई तरह की जांचें कराएगी। उन जांच रिपोर्ट्स के बाद ही पता चल पाएगा कि दोनों बच्चों का शरीर सर्जरी के जरिए अलग-अलग किया जा सकेगा या नहीं।

मेड़ता के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. बलदेव सियाग बताया कि ऐसी डिलीवरी को मेडिकल लेंगवेज में थोराकोपेगस कहते हैं। यह कॉनज्वाइंट ट्विन है। इसमें आमने-सामने इनका फ्यूजन होता है। ऐसे 75 फीसदी मामलों में सिंगल हार्ट होता है। सेपरेशन (अलग) करने में यहीं सबसे बड़ी दिक्कत होती है। कई बार लीवर भी एक हो सकता है। ऊपरी आंत भी एक हो सकती है। बच्चों का वजन 4 किलो है। 50 हजार से एक लाख प्रजनन में ऐसा एक केस सामने आता है।

प्रसव करवाने वाले गायनोलॉजिस्ट डॉ. मनीष कुमार सैनी ने बताया कि बच्चे जुड़े हुए होने के कारण नार्मल प्रसव करवाना ना के बराबर था। बच्चे छाती से जुड़े हुए है। आगे MRI, City Scan के बाद पीडिएटिक सर्जन की टीम निर्णय लेगी कि क्या करना है।

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