बीमा कंपनियों के खिलाफ स्थायी लोक अदालत अहम् फैसला
नागौर ।। जिले के करीब 5 लाख किसानों की तरफ से जिला स्थायी लोक अदालत मेड़ता में किए गए परिवाद पर किसानों के पक्ष में बड़ा फैसला आया है। पूर्व आईएएस डॉ. अशोक चौधरी ने पूरे सबूतों के साथ अदालत में किसानों के हित की बात रखी। जिस पर जिला स्थायी लोक अदालत ने सही मानते हुए किसानों के हित में फैसला दिया है।
अदालत ने प्रतिवादी पक्ष कलेक्टर, उप निदेशक कृषि विस्तार नागौर, रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी जिला प्रतिनिधि, जिला अग्रणी बैंक अधिकारी यूको बैंक शाखा नागौर के लिए कई टिप्पणियां भी की। अदालत ने कंपनी के लोग ठीक ढंग से अदालत के समक्ष प्रस्तुत नहीं हुए। बार-बार बुलाए जाने के बावजूद भी नहीं आए। ऐसा इस फैसले की प्रति में लिखा हुआ है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि आप फसल बीमा का प्रीमियम तो ले लेते हैं मगर गरीब किसानों को क्लेम देने के मामले में उतने सजग नहीं हैं। कोर्ट ने अपने फैसले में किसानों के हित में फैसला सुनाया है जो इस प्रकार है।
कैंप लगाकर पॉलिसी की जानकारी देंवे
कोर्ट ने यह कहा है कि कंपनी प्रत्येक गांव में कैंप लगाकर सभी लाभान्वित किसानों तक बीमा पॉलिसियां पहुंचाए। ताकी उनको पता लगे कि हमारे खेत का बीमा हो चुका है और हमारी फसल को कितने रुपए का माना गया है। यह जानकारी लिखित में उनके पास होनी चाहिए।
तहसील स्तर पर बनाएं कमेटी
इस पूरे काम की मॉनिटरिंग करने के लिए प्रत्येक तहसील पर जिला कलेक्टर एक कमेटी गठित करें, जिसमें एक कृषि अधिकारी होंगे और दो दूसरे अधिकारी होंगे। उसी तहसील के जो सेवारत या सेवानिवृत भी हो सकते हैं लेकिन उनकी कोई राजनीतिक भूमिका नहीं होनी चाहिए।
हर तहसील स्तर पर सुविधा केंद्र बनाए
बीमा पॉलिसी के जो नियम है उसकी धारा 28 की पालना की जाए। यानी हर तहसील स्तर पर एक सुविधा केंद्र हो, जहां पर बीमा कंपनी के लोग बैठे। वहां पर किसानों के बैठने की व्यवस्थाएं हो, वहां स्क्रीन लगी हो, जिससे उनको पता लगे कि योजना के नियम क्या-क्या है और हमें क्या-क्या लाभ मिल सकता है, हमें क्या-क्या ध्यान रखना चाहिए।
पूरे साल जारी रखे प्रचार-प्रसार बीमा कंपनियां, एप डाउनलोड करवाएं
प्रचार-प्रसार पूरे साल जारी रखना चाहिए। यह क्या करते हैं कि जब उनको प्रीमियम लेना होता है तब कर देते हैं। उसके बाद किसी भी तरह की जानकारी देने का कोई कष्ट नहीं करते हैं। तथा 5 हजार किसानों के मोबाइल में एप डालकर दिया जाए। क्योंकि अधिकतर किसान अनपढ़ है या फिर जानते नहीं है कि एप कैसे डाउनलोड करें।
ग्राम पंचायत पर क्लेम की सूची लगाये
क्लेम घोषित होने के बाद उसकी सूची 15 दिन के अंदर-अंदर ग्राम पंचायत और बैंक के नोटिस बोर्ड पर लगाना अनिवार्य किया है हालांकि नियम में ऐसा है मगर अदालत ने इसकी पालना सुनिश्चित करने को कहा है। ताकी किसानों को पता रहे कि मेरा क्लेम आया कि नहीं आया और वो इधर-उधर भटकता नहीं फिरे। किसानों को क्लेम नहीं मिला है। उनको यह जब क्लेम जारी हो जाए सबका, उसके 15 दिन के भीतर बताया जाना चाहिए कि आपका क्लेम खारिज क्यों हुआ। अगर किसान आपत्ति दर्ज कराए तो एक महीने में उस आपत्ति का निपटारा किया जाना चाहिए। किसान को स्पष्ट कारण बताया जाना चाहिए कि आपका क्लेम किस आधार पर खारिज किया गया है।